बुधवार, 19 फ़रवरी 2014

गोमूत्र के चिकित्सकीय लाभ


आर्य समाज के साहित्य में गाय के गोबर में लक्ष्मी का वास और मूत्र में गंगा का वास बताया गया हैं। यह केवल श्रध्दावश नहीं अपितु इसके वैज्ञानिक गुणों कारण कहा गया है गौ मूत्र मनुष्य जाति तथा वनस्पति जगत को प्राप्त होने वाला दुर्लभ अनुदान हैं। गौमूत्र चिकित्सा विशेषज्ञ डा. वीरेन्द्र जैन ने कहा है कि गाय एक चलता फिरता चिकित्सालय हैं। गाय के मूत्र में कार्बोलिक एसिड होता है। जो कीटाणुनाशक हैं अत: यह शुध्दि और स्वच्छता को बढ़ाता हैं, प्राचीन ग्रंथों में गौ मूत्र को अति पवित्र कहा है, आधुनिक दृष्टि में गौ मूत्र में नाइट्रोजन, फास्फेट, यूरिया, यूरिक एसिड, पोटेशियम और सोडियम होता हैं। जिन महीनों में गाय दूध देती है। उनमें उसके मूत्र में लेक्टोज रहता हैं जो हृदय और मस्तिष्क के विकारों में बहुत लाभकारी हैं इसमें स्वर्णक्षार भी मौजूद रहता है जो रसायन हैं। हमारे प्राचीन ग्रंथों में इसका बहुत ही विस्तृत ढंग से वर्णन मिलता है। चरक संहिता, राज निघंटु, वृध्द भाग भट्ट अमृत सागर में वर्णन आया है कि गौ मूत्र कडक चरका, कषैला, तीक्ष्ण, ऊष्ण पंच रस युक्त हैं। यह पवित्र विष नाशक, जीवाणुनाशक, त्रिदोषनाशक, मेधा शक्तिवर्ध्दक, शीघ्र पाचक, परम रसायन पश्य हैं। हृदय को आनन्द देने वाला बल बुध्दि प्रदान करने वाला है, आयु प्रदान करने वाला, रक्त के समस्त विकारों को दूर करने वाला, कफवात पित्त जाय तीनों दोषों हृदय रोगों व विष के प्रभाव को दूर करने वाला हैं। प्रसव के पश्चात् घरों में शुध्दिकरण हेतु गौ मूत्र का छिड़काव किया जाता हैं श्मशान से आने के बाद सभी व्यक्तियों का शुध्दिकरण गंगाजल या गौ मूत्र छिड़क कर तथा पिलाकर किया जाता है इसके जीवाणुनाशी गुणों के कारण ऐसी परम्पराएं चली आ रही हैं। पेट की बीमारी में गौ मूत्र एक रामबाण हैं। यकृत या प्लीहा बढ़ गयी हो तो पांच तोला गौ मूत्र नमक मिलाकर नियमित पीने से कुछ ही दिनों में आराम हो जाता हैं।
- खांसी दमा, जुकाम आदि विकारों में गौ मूत्र सीधा ही प्रयोग में लाने से तुरंत आराम मिल जाता हैं।
- जोड़ों के दर्द में दर्द वाले स्थान पर गौ मूत्र का सेंक करें। सर्दी में एक ग्राम सौंठ के चूर्ण के साथ गौ मूत्र का सेवन करें।
- मोटापा दूर करने के लिए आधे ताजे पानी में चार चम्मच गौ मूत्र, दो चम्मच शहद तथा एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर नियमित सेवन करें।
- पेट में कीड़े होने पर चार चम्मच गौ मूत्र के साथ ग् चम्मच अजवायन का चूर्ण सेवन करें।
- उच्च रक्त चाप के रोगियों के चाहिए कि 1/4 प्याले में गौ मूत्र में एक चौथाई चम्मच फूली हुई फिटकरी डालकर सेवन करें।
- गैस की शिकायत होने पर प्रात:काल आधे कप गौ मूत्र में नमक तथा नींबू का रस मिलाकर पीना चाहिए।
- चर्म रोग होने पर जीरे को महीन पीसकर गौ मूत्र में मिलाकर लेप करें। खाज फुंसी तथा विचर्चिका में गौ मूत्र आंबा हल्दी का चूर्ण मिलाकर पीना चाहिए।
- चर्म होने पर गौ मूत्र 3/4 बार छानकर धूप में बैठकर खुजली वाले स्थान पर मालिश करें।
श्री गोपाल गौशाला चितौड़गढ़ के राजवैध श्री रेवाशंकर जी शर्मा के अनुसार 20 मि.ली. गौ मूत्र प्रात: एवं सायंकाल पीने से निम्न रोगों में लाभ होता हैं। भूख की कमी, अजीर्ण हर्निया, मिर्गी, चक्कर आना, बवासीर, मधुमेह, कब्ज, उदर रोग, गैस, लू लगना, पीलिया, खुजली, मुखरोग, ब्लडप्रेशर, कुष्ठरोग, भगदर, दंत रोग धातु शीणता, नेत्र रोग, जुकाम, बुखार, त्वचा रोग, घाव, सिरदर्द, दमा, हिस्टीरिया, अनिद्रा आदि। कुल मिलाकर यह सभी रोगों को दूर करने की शक्ति रखता हैं।
गौ मूत्र में सावधानियां :
- देशी गाय का गौ मूत्र ही प्रयोग में लेवें।
- गौ मूत्र को फ्रिज में नहीं रखें।
- गाय गर्भवती व रोग ग्रस्त न हो बिना ब्याही एक वर्ष से बड़ी बछिया का मूत्र अच्छा रहता हैं।
- पीने हेतु गौ मूत्र को 8/10 बार छानकर उपयोग करें।
- गौ मूत्र धर्मानुमोदित, प्राकृतिक, सहजता से प्राप्त होने वाला हानि रहित कल्याणकारी एवं आरोग्य रक्षक रसायन हैं।
- आयुर्वेद ने गौ मूत्र को स्वास्थ्य रक्षा के लिए दिव्य औषधि माना हैं।

1 टिप्पणी:

  1. म श्री एडम्स केविन, Aiico बीमा ऋण ऋण कम्पनी को एक प्रतिनिधि हुँ तपाईं व्यापार को लागि व्यक्तिगत ऋण चाहिन्छ? तुरुन्तै आफ्नो ऋण स्थानान्तरण दस्तावेज संग अगाडी बढन adams.credi@gmail.com: हामी तपाईं रुचि हो भने यो इमेल मा हामीलाई सम्पर्क, 3% ब्याज दर मा ऋण दिन

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