शनिवार, 20 जून 2015

प्राचीन मान्यताओं की कुछ ऐसी बातें जो भोजन के समय ध्यान रखना चाहिए...

खाना खाते समय यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो स्वास्थ्य लाभ के साथ ही देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त की जा सकती है। यहां जानिए प्राचीन मान्यताओं की कुछ ऐसी बातें जो भोजन के समय ध्यान रखना चाहिए...
1. इस उपाय से बढ़ती है आयु
खाना खाने से पूर्व पांच अंगों (दोनों हाथ, दोनों पैर और मुख) को अच्छी तरह से धो लेना चाहिए। इसके बाद ही भोजन करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि भीगे हुए पैरों के साथ भोजन ग्रहण करना बहुत शुभ माना जाता है। भीगे हुए पैर शरीर के तापमान को नियंत्रित करते हैं, इससे हमारे पाचनतंत्र की समस्त ऊर्जा भोजन को पचाने में लगती है। पैर भिगोने से शरीर की अतिरिक्त गर्माहट कम होती है, जो गैस और एसिडिटी की संभावनाओं को समाप्त कर देती है। इससे स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। इससे आयु में वृद्धि होती है।
2. खाना खाते समय दिशाओं का ध्यान रखें
पूर्व और उत्तर दिशा की ओर मुंह करके खाना ग्रहण करना चाहिए। इस उपाय से हमारे शरीर को भोजन से मिलने वाली ऊर्जा पूर्ण रूप से प्राप्त होती है।
दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके भोजन ग्रहण करना अशुभ माना गया है।
पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके भोजन करने से रोगों की वृद्धि होती है।
3. इस स्थिति में भोजन नहीं करना चाहिए
कभी भी बिस्तर पर बैठकर भोजन नहीं करना चाहिए।
खाने की थाली को हाथ में लेकर भोजन नहीं करना चाहिए।
भोजन बैठकर ग्रहण करना चाहिए।
थाली को किसी बाजोट या लकड़ी की पाटे पर रखकर भोजन करना चाहिए।
खाने बर्तन साफ होने चाहिए। टूटे-फूटे बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए।
4. खाने से पहले ये उपाय भी करें
भोजन ग्रहण करने से पहले अन्न देवता, अन्नपूर्णा माता का स्मरण करना चाहिए।
देवी-देवताओं को भोजन के धन्यवाद देते हुए खाना ग्रहण करें। साथ ही, भगवान से ये प्रार्थना भी करें कि सभी भूखों को भोजन प्राप्त हो जाए। कभी भी परोसे हुए भोजन की निंदा नहीं करना चाहिए। इससे अन्न का अपमान होता है।
5. भोजन बनाने वाले व्यक्ति को ध्यान रखनी चाहिए ये बातें
भोजन बनने वाले व्यक्ति को स्नान करके और पूरी तरह से पवित्र होकर भी भोजन बनाना चाहिए। खाना बनाते समय मन शांत रखना चाहिए। साथ ही, इस दौरान किसी की बुराई भी ना करें। शुद्ध मन से भोजन बनाएंगे तो खाना स्वादिष्ट बनेगा और अन्न की कमी भी नहीं होगी। भोजन बनाना प्रारंभ करने से पहले इष्टदेव का ध्यान करना चाहिए। किसी देवी-देवता के मंत्र का जप भी किया जा सकता है।

गुरुवार, 11 जून 2015

मोटापा कम करने के प्राकृतिक उपचार

अपने दिन की शुरुआत नींबू पानी से करें। हर रोज सुबह गुनगुने पानी में नींबू का रस और थोड़ा सा नमक मिला कर सेवन करने से वजन कम करने में मदद मिलती है।
त्रिफला (१० ग्राम) चूर्ण को एक गिलास पानी में दस मिनट तक उबालें। इस मिश्रण को छानकर रोज सुबह इसका सेवन करें।
रोज सुबह करेले के रस में नींबू रस मिलाकर पीने से भी शरीर की चर्बी कम होती है।
सुबह उठकर १-२ टमाटर खाने से भी मोटापा नियंत्रित होता है।
दिन मे दो बार गुग्गुल गोंद को हल्का गुनगुना करके सेवन करना मोटापा नियंत्रित करने में सहायक है।
कच्चा या पकाया हुआ पत्तागोभी खाना मोटापे को कम करने में आश्चर्यजनक रूप से सहायक है।
रोज़ाना ग्रीन टी का सेवन करना न सिर्फ वज़न नियंत्रित करता है, बल्कि शरीर के लिये भी फायदेमंद है। उत्तम गुणवत्ता की ग्रीन टी की पत्तियों को उबले पानी में डालकर ५ -१० मिनट ढककर रखें। इसे दिन में २-३ बार पीयें।
बराबर मात्रा में आंवले व हल्दी का चूर्ण छाछ के साथ पीने से पेट की अतिरिक्त चर्बी कम होती है।
रोज सुबह छोटी पीपल का चूर्ण (३ ग्राम) छाछ के साथ सेवन करने से वजन कम करने में मदद मिलती है।
छाछ मे काला नमक व अजवाइन मिला कर दोपहर के भोजन के बाद पीये।
आधा चम्मच सौंफ को एक कप उबलते पानी में डालें व १० मिनिट तक इसे ढककर रखें। ठंडा होने पर इस पानी को पिएं।
दिन भर में ३-४ लीटर पानी पीने से शरीर के विषैले तत्व बाहर निकलते है व पेट की चर्बी भी कम होती है।
ध्यान रखें-
भारी, गरिष्ठ, तले, चटपटे खाद्य पदार्थ ना खायें। अपने आहार में खूब फल और हरी सब्जियां शामिल करें। रेशेदार खाद्य पदार्थ का सेवन अधिक से अधिक करें। कम चर्बी वाले दूध का सेवन करें। नमक व शक्कर का सेवन कम करे। जल्दबाजी में कभी भोजन ना करें। शरीर के वजन को संतुलित रखने के लिए सुबह नियमित रूप से घूमने जाये। एरोबिक्स, जॉगिंग, साइकिलिंग, योगासन, रस्सी कूदना, आदि व्यायाम भी वजन संतुलित रखने में सहायक है।

माताएँ बहने जरूर पढ़ें ! मासिक धर्म (Periods) से सबन्धित समस्याएँ

मित्रो माताओ-बहनो को मासिक धर्म (Periods) से सबन्धित समस्याएँ होना साधारण बात है अक्सर माहवारी की अनियमिता हो जाती है ,अर्थात कई बार रक्तस्त्राव बहुत अधिक हो जाता है और कई बार क्या होता है बिलकुल ही नहीं होता ! और कभी कभी ऐसा भी होता है की ये 2-3 दिन होना चाहिए लेकिन 1 ही दिन होता है ,और कई बार 15 दिन ही दुबारा आ जाता है ! और कई बार 2 महीने तक नहीं आता !
पूरी पोस्ट नहीं पढ़ सकते तो यहाँ click करें
https://www.youtube.com/watch?v=JAyHlx8kqUk
तो ये मित्रो मासिक धर्म चक्र की अनियमिता की जितनी सभी समस्याएँ है इसकी हमारे आयुर्वेद मे बहुत ही अच्छी और लाभकारी ओषधि है वो है अशोक के पेड़ के पत्तों की चटनी !
हाँ एक बात याद रखे आशोक का पेड़ दो तरह का है एक तो सीधा है बिलकुल लंबा ज़्यादातर लोग उसे ही अशोक समझते है जबकि वो नहीं है एक और होता है पूरा गोल होता है और फैला हुआ होता है वही असली अशोक का पेड़ है जिसकी छाया मे माता सीता ठहरी थी ! फोटो मे देखिये !
तो इस असली अशोक के 5-6 पत्ते तोड़िए उसे पीस कर चटनी बनाओ अब इसे एक से डेढ़ गिलास पानी मे कुछ देर तक उबाले ! इतना उबाले की पानी आधा से पौन गिलास रह जाए ! फिर उसे बिलकुल ठंडा होने के लिए छोड़ दीजिये और फिर उसको बिना छाने हुए पीये ! सबसे अच्छा है सुबह खाली पेट पीना ! कितने दिन तक पीना ?? 30 दिन तक लगातार पीना उससे मासिक धर्म (periods ) से सबन्धित सभी तरह की बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं ! ये सबसे अधिक अकेली बहुत ही लाभकारी दवा है ! जिसका नुकसान कोई नहीं है ! और अगर कुछ माताओ-बहनो को 30 दिन लेने से थोड़ा आराम ही मिलता है ज्यादा नहीं मिलता तो वो और अगले 30 दिन तक ले सकती है वैसे लगभग मात्र 30 दिन लेने से ही समस्या ठीक हो जाती है !
तो मित्रो ये तो हुई महवारी मे अनियमिता की बात ! अब बात करते पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द की. बहुत बार माताओ -बहनो को ऐसे समय मे बहुत अधिक शरीर मे अलग अलग जगह दर्द होता है कई बार कमड़,दर्द होना ,सिर दर्द होना ,पेट दर्द पीठ मे दर्द होना जंघों मे दर्द होना ,स्तनो मे दर्द,चक्कर आना ,नींद ना आना बेचैनी होना आदि तो ऐसे मे तेज pain killer लेने से बचे क्योंकि इनके बहुत अधिक side effects है , एक बीमारी ठीक करेंगे 10 साथ हो जाएगी और बहुत से pain killer तो विदेशो मे 20 वर्षो से ban है जो भारत मे बिकती है !
तो आयुर्वेद मे भी इस तरह के दर्दों की तात्कालिक (instant relief ) दवाये है जिसका कोई side effect नहीं है ! तो पीरियडस के दौरान होने वाले दर्दों की सबसे अच्छी दवा है गाय का घी ,अर्थात देशी गाय का घी ! एक चम्मच देशी गाय का घी को एक गिलास गर्म पानी मे डालकर पीना ! पहले एक गिलास पानी खूब गर्म करना जैसे चाय के लिए गर्म करते है बिलकुल उबलता हुआ ! फिर उसमे एक चम्मच देशी गाय का घी डालना ,फिर ना मात्र सा ठंडा होने पर पीना ,चाय की तरह से बिलकुल घूट घूट करके पीना ! बिलकुल सिप सिप करके पीना है ! तात्कालिक (instant relief ) एक दम आराम आपको मिलेगा और ये लगातार 4 -5 दिन जितने दिन पीरियड्स रहते है पीना है उससे ज्यादा दिन नहीं पीना ! ये पीरियडस के दौरन होने वाले सब तरह के दर्दों के लिए instant relief देता है सामान्य रूप से होने वाले दर्दों के लिए अलग दवा है !
एक बात जरूर याद रखे घी देशी गाय का ही होना चाहिए , विदेशी जर्सी,होलेस्टियन ,फिरिजियन भैंस का नहीं !! देशी गाय की पहचान है की उसकी पीठ गोल सा ,मोटा सा हम्प होता है !कोशिश करे घर के आस पास पता करे देशी गाय का ! उसका दूध लाकर खुद घी बना लीजिये ! बाजारो मे बिक रहे कंपनियो के घी पर भरोसा ना करें ! या भारत की सबसे बड़ी गौशाला जिसका नाम पथमेड़ा गौशाला है जो राजस्थान मे है यहाँ 2 लाख से ज्यादा देशी गाय है इनका घी खरीद लीजिये ये पूरा देशी गाय के दूध से ही बना है ! काफी बड़े शहरो मे उपलब्ध है !
और अंत जब तक आपको जीवन मे आपको मासिक धर्म रहता है आप नियमित रूप से चुने का सेवन करें ,चुना कैसा ?? गीला चुना , जो पान वाले के पास से मिलता है कितना लेना है ?? गेहूं के दाने जितना ! कैसे लेना है ??बढ़िया है की सुबह सुबह खाली पेट लेकर काम खत्म करे आधे से आधा गिलास पानी हल्का गर्म करे गेहूं के दाने के बराबर चुना डाले चम्मच से हिलाये पी जाए ! इसके अतिरिक्त दही मे ,जूस मे से सकते है बस एक बात का ध्यान रखे कभी आपको पथरी की समस्या रही वो चुना का सेवन ना करे !! ये चुना बहुत ही अच्छा है बहुत ही ज्यादा लाभकरी है मासिक धर्म मे होने वाली सब तरह की समस्याओ के लिए !!
इसके अतिरिक्त आप जंक फूड खाने से बचे , नियमित सैर करे ,योग करे !
पूरी post पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !
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अमर बलिदानी राजीव भाई की जय !
वन्देमातरम !

मंगलवार, 9 जून 2015

मोटापा एवं अनेक रोगों से मुक्त होने का अचूक उपाय...!

मेथी दाना -250 ग्राम ,
अजवाइन-100 ग्राम ,
काली जीरा-50 ग्राम ।
उपरोक्त तीनो चीज़ों को साफ़ करके हल्का सा सेंक लें ,फिर तीनों को मिलाकर मिक्सर मेंइसका पॉवडरबना लें और कांच की किसी शीशी में भर कर रख लें । रात को सोते समय 1/2 चम्मच पॉवडर एक गिलास कुनकुने पानी के साथ नित्य लें ,इसके बाद कुछ भी खाना या पीना नहीं है ।इसे सभी उम्र के लोग ले सकते हैं
फायदा पूर्ण रूप से 80-90 दिन में हो जायेगा ।
लाभ :-
इस चूर्ण को नित्य लेने से शरीर के कोने -कोने में जमा पड़ी सभी गंदगी (कचरा )मल और पेशाब द्वारा निकलजाता है ,
फ़ालतू चर्बी गल जाती है ,
चमड़ी की झुर्रियां अपने आप दूर हो जाती है ,
और शरीर तेजस्वी और फुर्तीला होजाता है ।
अन्य लाभ इस प्रकार हैं ----------
1. गठिया जैसा ज़िद्दी रोग दूर हो जाताहै ।
2. शरीर की रोग प्रतिकारक शक्ति को बढ़ाता है ।
3. पुरानी कब्ज़ से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाती है ।
4. रक्त -संचार शरीर में ठीक से होने लगता है ,शरीर की रक्त -नलिकाएं शुद्ध हो जाती हैं ,रक्त में सफाई और शुद्धता की वृद्धि होती है ।
5. ह्रदय की कार्य क्षमता में वृद्धिहोती है ,कोलेस्ट्रोलकम होता है ,जिस से हार्ट अटैक का खतरा नहीं रहता |
6. हड्डियां मजबूत होती हैं ,कार्य करने की शक्तिबढ़ती हैं ,स्मरण शक्ति में भी वृद्धि होतीहै ।थकान नहीं होती है ।
7. आँखों का तेज़ बढ़ता है ,बहरापन दूर होता है ,बालों का भी विकास होता है,दांत मजबूत होते हैं ।
8. भूतकाल में सेवन की गयी एलोपैथिकदवाओं के साइड -इफेक्ट्स से मुक्ति मिलतीहै ।
9. खाना भारी मात्रा में या ज्यादाखाने के बाद भी पच जाता है (इसका मतलब ये नहीं है कि आप जानबूझ कर ज्यादा खा ले) ।
10. स्त्रियों का शरीर शादी के बादबेडौल नहीं होता ,शेप में रहता है ,,शादी के बाद होने वालीतकलीफें दूर होती हैं ।
11. चमड़ी के रंग में निखार आता है ,चमड़ी सूख जाना ,झुर्रियां पड़ना आदि चमड़ी के रोगों से शरीर मुक्त रहता है ।
12. शरीर पानी ,हवा ,धूपऔर तापमान द्वारा होने वाले रोगों से मुक्त रहता है
13. डाइबिटीज़ काबू में रहती है ,चाहें तोइसकी दवा ज़ारी रख सकते हैं।
14. कफ से मुक्ति मिलती है ,नपुंसकता दूर होती है,,व्यक्ति का तेज़ इस से बढ़ता है ,जल्दी बुढ़ापा नहीं आता ,। उम्र बढ़ जाती है |
15. कोई भी व्यक्ति ,किसी भी उम्र का हो ,इस चूर्ण का सेवन कर सकता
है,मात्रा का ध्यान रखें ।

बुधवार, 22 अप्रैल 2015

हाइपो- थायरायडिज्म -- Hypothyroidism :

Swastik Jyotish Kendra's photo.

हाइपो- थायरायडिज्म -- Hypothyroidism :
मोटापे, बाल झडने और कई समस्याओं का कर्ण हो सकता है - हाइपो- थायरायडिज्म
प्रारम्भिक लक्षण :
- मांसपेशियों की धीमी गतिविधि (पेशी हाइपोटोनिया)
- थकान
- सर्दी को सहन करने की क्षमता में कमी, सर्दी के लिए बहुत अधिक संवेदनशीलता
- डिप्रेशन या अवसाद
- मांसपेशियों में अकड़न और जोड़ों में दर्द
- कार्पल टनल सिंड्रोम (Carpal Tunnel Syndrome)
- गलगंड (Goiter)
- अंगुलियों के नाखुन पतले और भंगुर
- पतले, भंगुर बाल
- पीलापन
- पसीना कम आना
- शुष्क, खुजली वाली त्वचा
- वजन का बढ़ जाना और पानी का अधिग्रहण
- ब्रेडीकार्डिया (Bradycardia) (ह्रदय दर कम होना-प्रति मिनट साठ धड़कन से कम)
- कब्ज
- महिलाओं में अधिक माहवारी आना ।
- बच्चे पैदा न होना ।
- यानि आप को भूख लगती नहीं , कुछ खाना खाते नहीं , फिर भी वज़न बढ़ता जा रहा है तो समझ लीजिये आपको यह प्रोब्लम हो सकती है ।
- Sex ki bikul b ichha na hona kya hypotyroidism k karan ho skta hai
बाद में दिखाई देने वाले लक्षण :
- धीमी आवाज और एक कर्कश, टूटती हुई आवाज-आवाज में गहराई भी देखी जा सकती है।
- शुष्क फूली हुई त्वचा, विशेष रूप से चेहरे पर.
- भौहों के बाहरी तीसरे हिस्से का पतला होना, (हेर्टोघ (Hertoghe) का चिन्ह)
असामान्य मासिक चक्र
- शरीर के आधारभूत तापमान में कमी
कम सामान्य लक्षण :
- याददाश्त कमजोर होना
- ज्ञानात्माक गतिविधि (सोचने-समझने की क्षमता) का कमजोर होना (दिमाग में धुंधलापन) और असावधानी
- ECG (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) में परिवर्तनों के साथ ह्रदय दर का धीमा होना, जिसमें कम वोल्टेज के संकेत शामिल हैं। कार्डियक आउटपुट का कम होना और संकुचन में कमी.
- प्रतिक्रियाशील (या खाने के बाद) हाइपो ग्लाईसिमिया
- रिफ्लेक्स (प्रतिवर्ती क्रिया) का धीमा और सुस्त होना.
बालों का झड़ना.
- अनुपयुक्त हीमोग्लोबिन संश्लेषण के कारण एनीमिया (रक्ताल्पता) (EPO के स्तर में कमी), आंतों में लौह तत्व या फोलेट का अनुपयुक्त अवशोषण या B 12 की कमी, पर्निशियस एनीमिया (प्राणाशी रक्ताल्पता) के कारण.
- निगलने में कठिनाई
- सांस का छोटा होना और एक उथला और धीमा श्वसन प्रतिरूप.
सोने की जरुरत का बढ़ना
- चिड़चिड़ापन और मूड अस्थिर रहना
- बीटा-कैरोटिन के विटामिन A में ठीक प्रकार से रूपांतरित न होने के कारण त्वचा का पीला पड़ना.
- वृक्क के असामान्य कार्य और GFR में कमी
- सीरम कोलेस्ट्रॉल के स्तर का बढ़ना
- तीव्र मानसिकता (मिक्सेडेमा मेडनेस (myxedema madness)) हाइपोथायरायडिज्म का एक दुर्लभ रूप है।
- वृषण से कम मात्रा में टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन के कारण कामेच्छा में कमी.
- स्वाद और गंध की संवेदना में कमी (एनोस्मिया)
- फूला हुआ चेहरा, हाथ और पैर (देर से प्रकट होने वाले, कम सामान्य लक्षण)
गाइनेकोमेस्टिया
नैदानिक परीक्षण :
प्राथमिक हाइपोथायरायडिज्म के निदान के लिए, कई डॉक्टर पीयूष ग्रंथि के द्वारा उत्पन्न साधारण रूप से थायरॉयड उद्दीपक हॉर्मोन (TSH) का माप करते हैं।
TSH के उच्च स्तर इंगित करते हैं कि थायरॉयड ग्रंथि थायरॉयड हॉर्मोन का पर्याप्त उत्पादन नहीं कर रही है (मुख्य रूप से थायरोक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3)) की कम मात्रा.
हालांकि, TSH का मापन द्वितीयक और तृतीयक हाइपोथायरायडिज्म का पता लगाने में असफल रहता है.
इस प्रकार से यदि TSH सामान्य है और फिर भी हाइपोथायरायडिज्म का संदेह है तो निम्न परीक्षणों की सलाह दी जाती है :
मुक्त ट्राईआयोडोथायरोनिन (fT3)
मुक्त लेवोथायरोक्सिन (fT4)
कुल T3
कुल T4
इसके अतिरिक्त, निम्नलिखित मापन की आवश्यकता भी हो सकती है:
24 घंटे यूरीन मुक्त T3 एंटीथायरॉयड प्रतिरक्षी-स्व प्रतिरोधी रोगों के प्रमाण के लिए जो संभवतया थायरॉयड ग्रंथि को क्षति पहुंचा रहें हैं।
सीरम कोलेस्ट्रॉल - जिसकी मात्रा हाइपोथायरायडिज्म में बढ़ सकती है।
प्रोलेक्टिन -पीयूष के कार्य के लिए व्यापक रूप से उपलब्ध परीक्षण के रूप में.
एनीमिया के लिए परीक्षण, फेरीटिन सहित
शरीर का आधारभूत तापमान
एक बार निदान हो गया और दवा शुरू कर दी गई तो अक्सर जीवन भर खानी पड़ सकती है । क्योंकि अक्सर यह रोग थायरायड ग्रंथि के स्थायी तौर पर नष्ट होने की वज़ह से होता है । यह autoimmunity की वज़ह से होता है ।
उपचार :
इस रोग का एलोपेथी में कोई उपचार नहीं है. लेकिन हॉर्मोन की कमी को पूरा करने के लिए हॉर्मोन को दवा के रूप में दिया जाता है । यानि इलाज़ बस रिप्लेसमेंट के रूप में होता है । फिर भी दवा लेते रहने से सामान्य जिंदगी गुजारी जा सकती है ।
दवा :
-थाय्रोक्सिन की गोली जो २५ , ५० , १०० माइक्रोग्राम में आती है , रोज सुबह नाश्ते से पहले खाली पेट लेनी होती है । इसकी सही डोज़ तो डॉक्टर ही निर्धारित करते हैं , लेकिन आम तौर पर एक व्यस्क के लिए ७५ से १२५ माइक्रोग्राम काफी रहती है ।
फोलोअप :
आरम्भ में हर महीने डॉक्टर से मिलना पड़ेगा । लेकिन एक बार डोज़ निर्धारित होने पर ६ महीने या एक साल में एक बार डॉक्टर से मिलना काफी है ।
फोलोअप में सिर्फ टी एस एच का टैस्ट कराना काफी है ।
गर्भवती महिला :
इन महिलाओं को विशेष ध्यान रखना चाहिए । गर्भ के दौरान डोज़ बढ़ानी पड़ती है क्योंकि गर्भ में पल रहे बच्चे को भी इसकी ज़रुरत होती है । यदि ऐसा नहीं किया गया तो बच्चे को हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है ।
बच्चे :
बच्चों में इस हॉर्मोन की कमी बहुत घातक सिद्ध हो सकती है । इससे विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ता है जिससे बच्चा अल्पविकसित रह सकता है --शारीरिक और मानसिक तौर पर । इन्हें क्रमश : ड्वारफिज्म और क्रेटीनिजम कहते हैं ।
बच्चों में दवा की डोज़ अक्सर ज्यादा रहती है ।
यह रोग महिलाओं में ज्यादा पाया जाता है । यदि मां को हो तो संतान में होने की सम्भावना काफी बढ़ जाती है । लेकिन याद रखिये --समय पर निदान होने से कई तरह की मुश्किलों से बचा जा सकता है ।

सोमवार, 19 जनवरी 2015

कुछ सूत्र जो याद रक्खे.....!

 एक साथ नहीं खानी चाहिए
  • चाय के साथ कोई भी नमकीन चीज नहीं खानी चाहिए।दूध और नमक का संयोग सफ़ेद दाग या किसी भी स्किन डीजीज को जन्म दे सकता है, बाल असमय सफ़ेद होना या बाल झड़ना भी स्किन डीजीज ही है।
  • सर्व प्रथम यह जान लीजिये कि कोई भी आयुर्वेदिक दवा खाली पेट खाई जाती है और दवा खाने से आधे घंटे के अंदर कुछ खाना अति आवश्यक होता है, नहीं तो दवा की गरमी आपको बेचैन कर देगी।
  • दूध या दूध की बनी किसी भी चीज के साथ दही ,नमक, इमली, खरबूजा,बेल, नारियल, मूली, तोरई,तिल ,तेल, कुल्थी, सत्तू, खटाई, नहीं खानी चाहिए।
  • दही के साथ खरबूजा, पनीर, दूध और खीर नहीं खानी चाहिए।
  • गर्म जल के साथ शहद कभी नही लेना चाहिए।
  • ठंडे जल के साथ घी, तेल, खरबूज, अमरूद, ककड़ी, खीरा, जामुन ,मूंगफली कभी नहीं।
  • शहद के साथ मूली , अंगूर, गरम खाद्य या गर्म जल कभी नहीं।
  • खीर के साथ सत्तू, शराब, खटाई, खिचड़ी ,कटहल कभी नहीं।
  • घी के साथ बराबर मात्र1 में शहद भूल कर भी नहीं खाना चाहिए ये तुरंत जहर का काम करेगा।
  • तरबूज के साथ पुदीना या ठंडा पानी कभी नहीं।
  • चावल के साथ सिरका कभी नहीं।
  • चाय के साथ ककड़ी खीरा भी कभी मत खाएं।
  • खरबूज के साथ दूध, दही, लहसून और मूली कभी नहीं।
कुछ चीजों को एक साथ खाना अमृत का काम करता है जैसे-
  • खरबूजे के साथ चीनी
  • इमली के साथ गुड
  • गाजर और मेथी का साग
  • बथुआ और दही का रायता
  • मकई के साथ मट्ठा
  • अमरुद के साथ सौंफ
  • तरबूज के साथ गुड
  • मूली और मूली के पत्ते
  • अनाज या दाल के साथ दूध या दही
  • आम के साथ गाय का दूध
  • चावल के साथ दही
  • खजूर के साथ दूध
  • चावल के साथ नारियल की गिरी
  • केले के साथ इलायची
कभी कभी कुछ चीजें बहुत पसंद होने के कारण हम ज्यादा बहुत ज्यादा खा लेते हैं। ऎसी चीजो के बारे में बताते हैं जो अगर आपने ज्यादा खा ली हैं तो कैसे पचाई जाएँ ----
  • केले की अधिकता में दो छोटी इलायची
  • आम पचाने के लिए आधा चम्म्च सोंठ का चूर्ण और गुड
  • जामुन ज्यादा खा लिया तो ३-४ चुटकी नमक
  • सेब ज्यादा हो जाए तो दालचीनी का चूर्ण एक ग्राम
  • खरबूज के लिए आधा कप चीनी का शरबत
  • तरबूज के लिए सिर्फ एक लौंग
  • अमरूद के लिए सौंफ
  • नींबू के लिए नमक
  • बेर के लिए सिरका
  • गन्ना ज्यादा चूस लिया हो तो ३-४ बेर खा लीजिये
  • चावल ज्यादा खा लिया है तो आधा चम्म्च अजवाइन पानी से निगल लीजिये
  • बैगन के लिए सरसो का तेल एक चम्म्च
  • मूली ज्यादा खा ली हो तो एक चम्म्च काला तिल चबा लीजिये
  • बेसन ज्यादा खाया हो तो मूली के पत्ते चबाएं
  • खाना ज्यादा खा लिया है तो थोड़ी दही खाइये
  • मटर ज्यादा खाई हो तो अदरक चबाएं
  • इमली या उड़द की दाल या मूंगफली या शकरकंद या जिमीकंद ज्यादा खा लीजिये तो फिर गुड खाइये
  • मुंग या चने की दाल ज्यादा खाये हों तो एक चम्म्च सिरका पी लीजिये
  • मकई ज्यादा खा गये हो तो मट्ठा पीजिये
  • घी या खीर ज्यादा खा गये हों तो काली मिर्च चबाएं
  • खुरमानी ज्यादा हो जाए तोठंडा पानी पीयें
  • पूरी कचौड़ी ज्यादा हो जाए तो गर्म पानी पीजिये
अगर सम्भव हो तो भोजन के साथ दो नींबू का रस आपको जरूर ले लेना चाहिए या पानी में मिला कर पीजिये या भोजन में निचोड़ लीजिये ,८०% बीमारियों से बचे रहेंगे।

मंगलवार, 17 जून 2014

पीपल (Pipal)

पीपल 
- यह 24 घंटे ऑक्सीजन देता है |
- इसके पत्तों से जो दूध निकलता है उसे आँख में लगाने से आँख का दर्द ठीक हो जाता है|
- पीपल की ताज़ी डंडी दातून के लिए बहुत अच्छी है |
- पीपल के ताज़े पत्तों का रस नाक में टपकाने से नकसीर में आराम मिलता है |
- हाथ -पाँव फटने पर पीपल के पत्तों का रस या दूध लगाए |
- पीपल की छाल को घिसकर लगाने से फोड़े फुंसी और घाव और जलने से हुए घाव भी ठीक हो जाते है|
- सांप काटने पर अगर चिकित्सक उपलब्ध ना हो तो पीपल के पत्तों का रस 2-2 चम्मच ३-४ बार पिलायें .विष का प्रभाव कम होगा |
- इसके फलों का चूर्ण लेने से बांझपन दूर होता है और पौरुष में वृद्धि होती है |
- पीलिया होने पर इसके ३-४ नए पत्तों के रस का मिश्री मिलाकर शरबत पिलायें .३-५ दिन तक दिन में दो बार दे |
- इसके पके फलों के चूर्ण का शहद के साथ सेवन करने से हकलाहट दूर होती है और वाणी में सुधार होता है |
- इसके फलों का चूर्ण और छाल सम भाग में लेने से दमा में लाभ होता है |
- इसके फल और पत्तों का रस मृदु विरेचक है और बद्धकोष्ठता को दूर करता है |
- यह रक्त पित्त नाशक , रक्त शोधक , सूजन मिटाने वाला ,शीतल और रंग निखारने वाला है |