सोमवार, 30 सितंबर 2013

अजीनोमोटो:यह धीमा जहर है।

                                                     ::अजीनोमोटो::

सफेद रंग का चमकीला सा दिखने वाला मोनोसोडि़यम ग्लूटामेट यानी अजीनोमोटो, एक सोडियम साल्ट है। अगर आप चाइनीज़ डिश के दीवाने हैं तो यह आपको उसमें जरूर मिल जाएगा क्योंकि यह एक मसाले
के रूप में उनमें इस्तमाल किया जाता है। शायद ही आपको पता हो कि यह खाने का स्वाद बढ़ाने वाला मसाला वास्तव में जहर यह धीमा खाने का स्वाद नहीं बढ़ाता बल्कि हमारी स्वाद ग्रन्थियों के कार्य को दबा देता है जिससे हमें खाने के बुरे स्वाद का पता नहीं लगता। मूलतः इस का प्रयोग खाद्य की घटिया गुणवत्ता को छिपाने के लिए किया जाता है। यह सेहत के लिए भी बहुत खतरनाक होता है।

जान लें कि कैसे-
* सिर दर्द, पसीना आना और चक्कर आने जैसी खतरनाक बीमारी आपको अजीनोमोटो से हो सकती है। अगर आप इसके आदि हो चुके हैं और खाने में इसको बहुत प्रयोग करते हैं तो यह आपके दिमाग को भी नुकसान कर सकता है।
* इसको खाने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है। चेहरे की सूजन और त्वचा में खिंचावमहसूस होना इसके कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं।
* इसका ज्यादा प्रयोग से धीरे धीरे सीने में दर्द, सांस लेने में दिक्कत और आलस भी पैदा कर सकता है। इससे सर्दी-जुखाम और थकान भी महसूस होती है। इसमें पाये जाने वाले एसिड सामग्रियों की वजह से यह पेट और गले में जलन भी पैदा कर सकता है।
* पेट के निचले भाग में दर्द, उल्टी आना और डायरिया इसके आम दुष्प्रभावों में से एक हैं।
* अजीनोमोटो आपके पैरों की मासपेशियों और घुटनों में दर्द पैदा कर सकता है। यह हड्डियों को कमज़ोर और शरीर द्वारा जितना भी कैल्शिम लिया गया हो, उसे कम कर देता है।
* उच्च रक्तचाप की समस्या से घिरे लोगों को यह बिल्कुल नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे अचानक ब्लड प्रेशर बढ़ और घट जाता है।
* व्यक्तियों को इससे माइग्रेन होने की समस्या भी हो सकती है। आपके सिर में दर्द पैदा हो रहा है तो उसे तुरंत ही खाना बंद कर दें।
* अजीनोमोटो की उत्पादन प्रक्रिया भी विवादास्पद है : कहा जाता है कि इसका उत्पादन जानवरों के शरीर से प्राप्त सामग्री से भी किया जा सकता है।

*अजीनोमोटो बच्चों के लिए बहुत हानिकारक है। इसके कारण स्कूल
जाने वाले ज्यादातर बच्चे सिरदर्द के शिकार हो रहे हैं। भोजन में एमएसजी का इस्तेमाल या प्रतिदिन एमएसजी युक्त जंकफूड और प्रोसेस्ड फूड का असर बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर पड़ता है। कई शोधों में यह बात साबित हो चुकी है कि एमएसजी युक्त डाइट बच्चों में मोटापे की समस्या का एक कारण है। इसके अलावा यह बच्चों को भोजन के प्रति अंतिसंवेदनशील बना सकता है। मसलन, एमएसजी युक्त भोजन अधिक खाने के बाद हो सकता है कि बच्चे को किसी दूसरी डाइट से एलर्जी हो जाए। इसके अलावा, यह बच्चों के व्यवहार से संबंधित समस्याओं का भी एक कारण है। छिपा हो सकता है अजीनोमोटो अब पूरी दुनिया में मैगी नूडल बच्चे बड़े सभी चाव से खाते हैं, इस मैगी में जो राज की बात है वो है Hydrolyzed groundnut protein और स्वाद वर्धक 635 Disodium ribonucleotides यह कम्पनी यह दावा करती है कि इसमें अजीनोमोटो यानि MSG नहीं डाला गया है। जबकि Hydrolyzed groundnut protein पकने के बाद अजीनोमोटो यानि MSG में बदल जाता है और Disodium ribonucleotides इसमें मदद करता है।

मंगलवार, 24 सितंबर 2013

डेंगू ज्वर परिचय :लक्षण, लगातार, डेंगू ज्वर का विभिन्न औषधियों से उपचार


डेंगू ज्वर परिचय :

Photo: डेंगू ज्वर परिचय :

डेंगू बुखार में रोगी के पूरे शरीर की हडि्डयों में ऐसा दर्द
होता है जैसे कि सभी हडि्डयां टूट गई हों। डेंगू बुखार एक
संक्रामक बुखार हैं जो क्यूलिक्स नामक मच्छरों के
द्वारा एक रोगी से दूसरे स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश
करके रोग को पहुंचाता है। इस तरह का बुखार होने पर रोगी को भूख नहीं लगती है, रोगी को हर समय बुखार 103 से 105 डिग्री तक बना रहता है। एक सप्ताह तक
रोगी को पसीना, दस्त, नकसीर (नाक से खून आना) आने
लगती है। अगर यह बुखार ज्याद
ा बढ़ जाता है तो रोगी के कान में दर्द और सूजन
तथा फेफड़ों में सूजन आ जाती है। 

लक्षण :
डेंगू बुखार होने पर रोगी को अचानक बिना खांसी व
जुकाम के तेज बुखार हो जाता है, रोगी के शरीर में तेज दर्द
होकर हडि्डयों में पीड़ा होती हैं। रोगी के सिर के अगले
हिस्से में तेज दर्द होता है, आंख के पिछले भाग में दर्द
होता है, रोगी की मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होता है, रोगी को भूख कम लगती है और उसके मुंह का स्वाद खराब
हो जाता है, रोगी की छाती पर खसरे के जैसे दाने निकल
आते हैं, इसके अलावा जी मिचलाना, उल्टी होना,
रोशनी से चिड़चिड़ाहट होना आदि लक्षण पाए जाते
हैं। परन्तु कभी-कभी डेंगू बुखार में खून भी आने लगता है,
जिसे हीमोरैजिक रक्तस्राव कहते हैं। हीमोरैजिक रक्तस्राव के समय के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं

- लगातार
पेट में तेज दर्द रहना, त्वचा ठंड़ी, पीली व
चिपचिपी होना, रोगी के चेहरे और हाथ-पैरों पर लाल
दाने हो जाते हैं। हीमोरैजिक डेंगू होने पर शरीर के
अन्दरूनी अंगों से खून आने लगता है। नाक, मुंह व मल के
रास्ते खून आता है जिससे कई बार रोगी बेहोश हो जाता है। खून के बिना या खून के साथ बार-बार उल्टी,
नींद के साथ व्याकुलता, लगातार चिल्लाना, अधिक
प्यास का लगना या मुंह का बार-बार सूखना आदि लक्षण
पैदा हो जाते हैं। हीमोरैजिक डेंगू अधिक खतरनाक
होता हैं और डेंगू बुखार साधारण बुखार से काफी मिलता-
जुलता होता है। 

डेंगू ज्वर का विभिन्न औषधियों से उपचार: 

1 सर्पगंधा:-सर्पगंधा के कन्द (फल) का चूर्ण,
कालीमिर्च, डिकामाली घोड़बच और चिरायता के
चूर्ण को एकसाथ मिलाने से बनी मिश्रित औषधि में
से 1 से 2 ग्राम को सुबह और शाम लेने से डेंगू के बुखार में
लाभ मिलता है। 

2 अंकोल:-*3 ग्राम अंकोल की जड़ के चूर्ण को 2 ग्राम
मीठी बच या शुंठी के चूर्ण के साथ चावल के माण्ड में
पकाकर सेवन करने से डेंगू के बुखार में लाभ होता है। यह फ्लू
में भी लाभकारी है।
*लगभग एक ग्राम से कम की मात्रा में अंकोल की जड़
की छाल को घोड़बच या सोंठ के साथ चावल के माण्ड में उबालकर रोजाना सेवन करने से डेंगू ज्वर में लाभ
मिलता है। इसके पत्तों को पीसकर जरा-सा गर्म करके
दर्द वाले अंग पर बांधने से भी लाभ होता है। " 

3 यवाक्षार:-लगभग एक ग्राम से कम की मात्रा में
यवाक्षार को नीम के पत्ते के रस या नीम के काढ़े के साथ
सुबह और शाम लेने से पसीना आने से होने वाला बुखार कम
होता है और शरीर का दर्द मिटता जाता है। 

4 ईश्वरमूल:-लगभग आधा ग्राम से 2 ग्राम की मात्रा में
ईश्वर मूल (रूद्रजटा) का चूर्ण सुबह और शाम सेवन करने से
डेंगू ज्वर दूर हो जाता है। 5 चंदन:-5 से 10 बूंद चंदन के तेल को बतासे पर डालकर
सुबह और शाम लेकर ऊपर से पानी से पीने से बुखार कम
हो जाता है। 

6 कर्पूरासव:-कर्पूरासव 5 से 10 बूंद बतासे पर डालकर
सुबह और शाम लेने से खून की नसें फैलती हैं, पसीना आकर
बुखार, दाह (जलन) और बेचैनी कम होते जाते हैं। 

7 साधारण उपचार:-डेंगू बुखार तेज होने पर रोगी के माथे पर
ठंड़े पानी की पट्टियां रखी जा सकती हैं। हीमोरैजिक
डेंगू होने पर रोगी के खून में प्लेटीनेट्स की संख्या बढ़ाने
के लिए अतिरिक्त मात्रा देने
की आवश्यकता होती है। ध्यान देने वाली बात यह है
कि हीमोरैजिक डेंगू होने पर रोगी को दर्द दूर करने वाली दवा नहीं देनी चाहिए क्योंकि कई बार इन दर्द
निवारक दवाओं से रोगी में खून के बहने का डर
बना रहता है। इस दौरान शरीर में पानी की मात्रा और
रक्तचाप को नियंत्रित करना भी जरूरी होता है। 

8 गिलोय बेल: -गिलोय बेल की डंडी ले ! डंडी के छोटे
टुकड़े करे !

2 गिलास पानी मे उबाले ! जब पानी आधा रह
जाये !
ठंडा होने पर रोगी को पिलाये !
मात्र 45 मिनट बाद cell बढ़ने शुरू हो जाएँगे !!
इससे अच्छा और सस्ता कोई इलाज नहीं डेंगू बुखार का"
डेंगू बुखार में रोगी के पूरे शरीर की हडि्डयों में ऐसा दर्द होता है जैसे कि सभी हडि्डयां टूट गई हों। डेंगू बुखार एक संक्रामक बुखार हैं जो क्यूलिक्स नामक मच्छरों के द्वारा एक रोगी से दूसरे स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करके रोग को पहुंचाता है। इस तरह का बुखार होने पर रोगी को भूख नहीं लगती है, रोगी को हर समय बुखार  103 से 105 डिग्री तक बना रहता है। एक सप्ताह तक रोगी को पसीना, दस्त, नकसीर (नाक से खून आना)  आने लगती है। अगर यह बुखार ज्याद ा बढ़ जाता है तो रोगी के कान में दर्द और सूजन तथा फेफड़ों में सूजन आ जाती है। 

लक्षण :
डेंगू बुखार होने पर रोगी को अचानक बिना खांसी व जुकाम के तेज बुखार हो जाता है, रोगी के शरीर में तेज दर्द होकर हडि्डयों में पीड़ा होती हैं। रोगी के सिर के अगले हिस्से में तेज दर्द होता है, आंख के पिछले भाग में दर्द होता है, रोगी की मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होता है, रोगी को भूख कम लगती है और उसके मुंह का स्वाद खराब हो जाता है, रोगी की छाती पर खसरे के जैसे दाने निकल आते हैं, इसके अलावा जी मिचलाना, उल्टी होना, रोशनी से चिड़चिड़ाहट होना आदि लक्षण पाए जाते हैं। परन्तु कभी-कभी डेंगू बुखार में खून भी आने लगता है, जिसे हीमोरैजिक रक्तस्राव कहते हैं। हीमोरैजिक रक्तस्राव के समय के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं

- लगातार
पेट में तेज दर्द रहना, त्वचा ठंड़ी, पीली व चिपचिपी होना, रोगी के चेहरे और हाथ-पैरों पर लाल
दाने हो जाते हैं। हीमोरैजिक डेंगू होने पर शरीर के अन्दरूनी अंगों से खून आने लगता है। नाक, मुंह व मल के
रास्ते खून आता है जिससे कई बार रोगी बेहोश हो जाता है। खून के बिना या खून के साथ बार-बार उल्टी,
नींद के साथ व्याकुलता, लगातार चिल्लाना, अधिक प्यास का लगना या मुंह का बार-बार सूखना आदि लक्षण
पैदा हो जाते हैं। हीमोरैजिक डेंगू अधिक खतरनाक होता हैं और डेंगू बुखार साधारण बुखार से काफी मिलता-
जुलता होता है।

डेंगू ज्वर का विभिन्न औषधियों से उपचार: 

1 सर्पगंधा:-सर्पगंधा के कन्द (फल) का चूर्ण, कालीमिर्च, डिकामाली घोड़बच और चिरायता के चूर्ण को एकसाथ मिलाने से बनी मिश्रित औषधि में से 1 से 2 ग्राम को सुबह और शाम लेने से डेंगू के बुखार में लाभ मिलता है।

2 अंकोल:-*3 ग्राम अंकोल की जड़ के चूर्ण को 2 ग्राम मीठी बच या शुंठी के चूर्ण के साथ चावल के माण्ड में पकाकर सेवन करने से डेंगू के बुखार में लाभ होता है। यह फ्लू में भी लाभकारी है। *लगभग एक ग्राम से कम की मात्रा में अंकोल की जड़ की छाल को घोड़बच या सोंठ के साथ चावल के माण्ड में उबालकर रोजाना सेवन करने से डेंगू ज्वर में लाभ मिलता है। इसके पत्तों को पीसकर जरा-सा गर्म करके दर्द वाले अंग पर बांधने से भी लाभ होता है। "

3 यवाक्षार:-लगभग एक ग्राम से कम की मात्रा में यवाक्षार को नीम के पत्ते के रस या नीम के काढ़े के साथ सुबह और शाम लेने से पसीना आने से होने वाला बुखार कम होता है और शरीर का दर्द मिटता जाता है।

4 ईश्वरमूल:-लगभग आधा ग्राम से 2 ग्राम की मात्रा में ईश्वर मूल (रूद्रजटा) का चूर्ण सुबह और शाम सेवन करने से डेंगू ज्वर दूर हो जाता है। 5 चंदन:-5 से 10 बूंद चंदन के तेल को बतासे पर डालकर सुबह और शाम लेकर ऊपर से पानी से पीने से बुखार कम
हो जाता है।

6 कर्पूरासव:-कर्पूरासव 5 से 10 बूंद बतासे पर डालकर सुबह और शाम लेने से खून की नसें फैलती हैं, पसीना आकर बुखार, दाह (जलन) और बेचैनी कम होते जाते हैं।

7 साधारण उपचार:-डेंगू बुखार तेज होने पर रोगी के माथे पर ठंड़े पानी की पट्टियां रखी जा सकती हैं। हीमोरैजिक डेंगू होने पर रोगी के खून में प्लेटीनेट्स की संख्या बढ़ाने के लिए अतिरिक्त मात्रा देने की आवश्यकता होती है। ध्यान देने वाली बात यह है कि हीमोरैजिक डेंगू होने पर रोगी को दर्द दूर करने वाली दवा नहीं देनी चाहिए क्योंकि कई बार इन दर्द निवारक दवाओं से रोगी में खून के बहने का डर
बना रहता है। इस दौरान शरीर में पानी की मात्रा और रक्तचाप को नियंत्रित करना भी जरूरी होता है। 

8 गिलोय बेल: -गिलोय बेल की डंडी ले ! डंडी के छोटे टुकड़े करे !

2 गिलास पानी मे उबाले ! जब पानी आधा रह जाये !
ठंडा होने पर रोगी को पिलाये ! मात्र 45 मिनट बाद cell बढ़ने शुरू हो जाएँगे !!
इससे अच्छा और सस्ता कोई इलाज नहीं डेंगू बुखार का"