बुधवार, 9 अक्तूबर 2013

पथरी (किडनी / गल ब्लैडर) का आयुर्वेदिक उपचार :-



एक पौधा होता है जिसे हिंदी मे पत्थरचट्टा, पाषाणभेद, पणफुट्टी, भष्मपथरी कहते है, फोटो देखे निचे ... इसका वैज्ञानिक नाम है "bryophyllum pinnatum" !

सेवन की विधि : दो पत्ते तोड़े, उसको अच्छी तरह पानी से धोने के बाद सुबह सुबह खाली पेट चबा कर खाले, हलके गरम पानी के साथ !

एक हफ्ते के अन्दर पथरी विघटित हो कर शरीर से निकल जाएगी !

तुलसी के फायदे...

तुलसी के फायदे...
1. तुलसी रस से बुखार उतर जाता है। इसे पानी में मिलाकर हर दो-तीन घंटे में पीने से बुखार कम हो जाता है।

2. कई आयुर्वेदिक कफ सिरप में तुलसी का इस्तेमाल अनिवार्य है।यह टी.बी,ब्रोंकाइटिस और दमा जैसे रोंगो के लिए भी फायदेमंद है।

3. जुकाम में इसके सादे पत्ते खाने से भी फायदा होता है।

4. सांप या बिच्छु के काटने पर इसकी पत्तियों का रस,फूल और जडे विष नाशक का काम करती हैं।

5. तुलसी के तेल में विटामिन सी,कै5रोटीन,कैल्शियम और फोस्फोरस प्रचुर मात्रा में होते हैं।

6. साथ ही इसमें एंटीबैक्टेरियल,एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण भी होते हैं।

7. यह मधुमेह के रोगियों के लिए भी फायदेमंद है।साथ ही यह पाचन क्रिया को भी मज़बूत करती हैं।

8. तुलसी का तेल एंटी मलेरियल दवाई के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। एंटीबॉडी होने की वजह से यह हमारी इम्यूनिटी भी बढा देती है।

9. तुलसी के प्रयोग से हम स्वास्थय और सुंदरता दोनों को ही ठीक रख सकते हैं।


तुलसी में गजब की रोगनाशक शक्ति है। विशेषकर सर्दी, खांसी व बुखार में यह अचूक दवा का काम करती है। इसीलिए भारतीय आयुर्वेद के सबसे प्रमुख ग्रंथ चरक संहिता में कहा गया है।

- तुलसी हिचकी, खांसी,जहर का प्रभाव व पसली का दर्द मिटाने वाली है। इससे पित्त की वृद्धि और दूषित वायु खत्म होती है। यह दूर्गंध भी दूर करती है।

- तुलसी कड़वे व तीखे स्वाद वाली दिल के लिए लाभकारी, त्वचा रोगों में फायदेमंद, पाचन शक्ति बढ़ाने वाली और मूत्र से संबंधित बीमारियों को मिटाने वाली है। यह कफ और वात से संबंधित बीमारियों को भी ठीक करती है।

- तुलसी कड़वे व तीखे स्वाद वाली कफ, खांसी, हिचकी, उल्टी, कृमि, दुर्गंध, हर तरह के दर्द, कोढ़ और आंखों की बीमारी में लाभकारी है। तुलसी को भगवान के प्रसाद में रखकर ग्रहण करने की भी परंपरा है, ताकि यह अपने प्राकृतिक स्वरूप में ही शरीर के अंदर पहुंचे और शरीर में किसी तरह की आंतरिक समस्या पैदा हो रही हो तो उसे खत्म कर दे। शरीर में किसी भी तरह के दूषित तत्व के एकत्र हो जाने पर तुलसी सबसे बेहतरीन दवा के रूप में काम करती है। सबसे बड़ा फायदा ये कि इसे खाने से कोई रिएक्शन नहीं होता है।

तुलसी की मुख्य जातियां- तुलसी की मुख्यत: दो प्रजातियां अधिकांश घरों में लगाई जाती हैं। इन्हें रामा और श्यामा कहा जाता है।

- रामा के पत्तों का रंग हल्का होता है। इसलिए इसे गौरी कहा जाता है।

- श्यामा तुलसी के पत्तों का रंग काला होता है। इसमें कफनाशक गुण होते हैं। यही कारण है कि इसे दवा के रूप में अधिक उपयोग में लाया जाता है।

- तुलसी की एक जाति वन तुलसी भी होती है। इसमें जबरदस्त जहरनाशक प्रभाव पाया जाता है, लेकिन इसे घरों में बहुत कम लगाया जाता है। आंखों के रोग, कोढ़ और प्रसव में परेशानी जैसी समस्याओं में यह रामबाण दवा है।

- एक अन्य जाति मरूवक है, जो कम ही पाई जाती है। राजमार्तण्ड ग्रंथ के अनुसार किसी भी तरह का घाव हो जाने पर इसका रस बेहतरीन दवा की तरह काम करता है।

मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी - मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी, जैसे मलेरिया में तुलसी एक कारगर औषधि है। तुलसी और काली मिर्च का काढ़ा बनाकर पीने से मलेरिया जल्दी ठीक हो जाता है। जुकाम के कारण आने वाले बुखार में भी तुलसी के पत्तों के रस का सेवन करना चाहिए। इससे बुखार में आराम मिलता है। शरीर टूट रहा हो या जब लग रहा हो कि बुखार आने वाला है तो पुदीने का रस और तुलसी का रस बराबर मात्रा में मिलाकर थोड़ा गुड़ डालकर सेवन करें, आराम मिलेगा।

- साधारण खांसी में तुलसी के पत्तों और अडूसा के पत्तों को बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन करने से बहुत जल्दी लाभ होता है।

- तुलसी व अदरक का रस बराबर मात्रा में मिलाकर लेने से खांसी में बहुत जल्दी आराम मिलता है।

- तुलसी के रस में मुलहटी व थोड़ा-सा शहद मिलाकर लेने से खांसी की परेशानी दूर हो जाती है।

- चार-पांच लौंग भूनकर तुलसी के पत्तों के रस में मिलाकर लेने से खांसी में तुरंत लाभ होता है।

- शिवलिंगी के बीजों को तुलसी और गुड़ के साथ पीसकर नि:संतान महिला को खिलाया जाए तो जल्द ही संतान सुख की प्राप्ति होती है।

- किडनी की पथरी में तुलसी की पत्तियों को उबालकर बनाया गया काढ़ा शहद के साथ नियमित 6 माह सेवन करने से पथरी मूत्र मार्ग से बाहर निकल जाती है।
- फ्लू रोग में तुलसी के पत्तों का काढ़ा, सेंधा नमक मिलाकर पीने से लाभ होता है।

- तुलसी थकान मिटाने वाली एक औषधि है। बहुत थकान होने पर तुलसी की पत्तियों और मंजरी के सेवन से थकान दूर हो जाती है।

- प्रतिदिन 4- 5 बार तुलसी की 6-8 पत्तियों को चबाने से कुछ ही दिनों में माइग्रेन की समस्या में आराम मिलने लगता है।

- तुलसी के रस में थाइमोल तत्व पाया जाता है। इससे त्वचा के रोगों में लाभ होता है।

- तुलसी के पत्तों को त्वचा पर रगड़ दिया जाए तो त्वचा पर किसी भी तरह के संक्रमण में आराम मिलता है।

- तुलसी के पत्तों को तांबे के पानी से भरे बर्तन में डालें। कम से कम एक-सवा घंटे पत्तों को पानी में रखा रहने दें। यह पानी पीने से कई बीमारियां पास नहीं आतीं।

- दिल की बीमारी में यह अमृत है। यह खून में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करती है। दिल की बीमारी से ग्रस्त लोगों को तुलसी के रस का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए।


सावधानी :

फायदे जानने के बाद तुलसी के सेवन में अति कर देना नुकसानदायक साबित होगा। क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है इसलिए दिन भर में 10-12 पत्तों का ही सेवन करना चाहिए। खासतौर पर महिलाओं के लिए भले ही तुलसी एक वरदान की तरह है लेकिन फिर भी एक दिन में पांच तुलसी के पत्ते पर्याप्त हैं। हां, इसका सेवन छाछ या दही के साथ करने से इसका प्रभाव संतुलित हो जाता है। हालांकि यह आर्थराइटिस, एलर्जी, मैलिग्नोमा, मधुमेह, वायरल आदि रोगों में फायदा पहुंचाती है। लेकिन गर्भावस्था के दौरान इसके सेवन का ध्यान रखना जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान अगर दर्द ज्यादा होता है तब तुलसी के काढे से फायदा पहुंच सकता है। इसमे तुलसी के पत्तो को रात भर पानी मे भिगो दें और सुबह उसे क्रश करके चीनी के साथ खाएं ब्रेस्ट- फीडिंग के दौरान भी तुलसी का काढा फायदेमंद होता है। इसके लिए बीस ग्राम तुलसी का रस और मकई के पत्तों रस मिलाएं, इसमें दस ग्राम अश्वगंधा रस और दस ग्राम शहद मिला कर खाएं। तुलसी बच्चेदानी को स्वास्थ रखने के लिए भी सहायक है। हां, एक बात ध्यान रहे कि आपके स्वास्थ पर तुलसी के अच्छे और बुरे दोनों प्रभाव पड सकते हैं इसलिए महिलाओं के लिए हो या बच्चों के लिए, बिना आयुर्वेदाचार्य से परामर्श लिए इसका इस्तेमाल न करे।

ध्यान रहे तुलसी पूजनीय हें , इसका अपमान / अनादर न करें !


सोमवार, 7 अक्तूबर 2013

उच्च रक्तचाप - कुछ घरेलू प्रयोग

उच्च रक्तचाप - कुछ घरेलू प्रयोग 
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-पांच बेल पत्र पत्थर पर पीस कर उसकी चटनी बनायें अब इस चटनी को एक ग्लास पानी में डाल कर खूब गरम कर लें , जब पानी आधा रह जाये , तब उसको ठंडा करके पी लें। ये सबसे जल्दी उच्च रक्तचाप को ठीक करता है |

-आधा चम्मच मेथी दाना रात को एक ग्लास गरम पानी में भिगो दीजिये, रात भर पानी में पड़ा रहने दीजिये और सुबह उठ कर पानी 
को पी लीजिये और मेथी दाने को चबा के खा लीजिये । ये बहुत जल्दी आपकी हाई BP कम कर देगा, डेढ़ से दो महीने में सामान्य कर देगा ।

-दालचीनी जो मसाले के रूप में उपयोग होता है को पीस कर पावडर बनाकर रख लें, आधा चम्मच रोज सुबह खाली पेट गरम पानी के 
साथ लेने से रक्तचाप सामान्य हो जाता है |

-एक कप लौकी रस + पांच धनिया पत्ता + पांच पुदीना पत्ता + पांच तुलसी पत्र + तीन- चार काली मिर्च पीस कर मिला ले, रोज सुबह 
खाली पेट नाश्ते के आधा घंटे पहले पीने से समस्त ह्रदय रोगों में लाभ मिलता है |