शनिवार, 22 जून 2013

आँवले के इन गुणों को जानिए


आँवले से हम सभी चिर-परिचित हैं और अधिकाँश लोग इसके औषधीय महत्व को भी भलिभाँति जानते हैं। घरों में आँवले का अचार और मुरब्बा बडे शौक से तैयार किया जाता है और इसका सेवन भी सेहत बनाने वाला होता है। आयुर्वेद से लेकर आधुनिक विज्ञान भी आँवले के औषधीय गुणों का लोहा मानता आया है। आदिवासी भी आँवले को अनेक हर्बल फार्मुलों में एक महत्वपूर्ण औषधि के तौर पर उपयोग में लाते है। चलिए आज जानते हैं आँवले के उन गुणों को जिनका जिक्र शायद कम लोगो ने ही सुना हो..

आँवले के संदर्भ में रोचक जानकारियों और परंपरागत हर्बल ज्ञान का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डाँग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहें हैं।

आँवले के फलों को कुचलकर घी में सेंका जाए और इसे सूंघा जाए तो नाक से निकलने वाले खून अथवा नकसीर में आराम मिलता है। इसे नाक के बाहरी तरफ लेपित भी किया जाना चाहिए, जल्द आराम मिलता है।

आँवले के फल, पीपल की छाल और चित्रक की पत्तियों की समान मात्रा (6 ग्राम) लेकर 40 मिली पानी के साथ उबाला जाए और काढा तैयार किया जाए, इसे दिन में हर चार से पाँच घंटों के अंतराल से पिलाया जाए तो रोगी का बुखार उतर जाता है।

आदिवासियों की मानी जाए तो जिन्हें पेशाब के समय जलन की शिकायत होती है उनके लिए आँवला एक फायदेमंद उपाय है। आँवले के फलों का रस तैयार कर इसमें स्वादानुसार शक्कर और शहद और घी मिलाकर पिया जाए तो पेशाब की जलन शाँत हो जाती है।

शहद के साथ आँवले के चूर्ण को खाने से भी शारीरिक और मानसिक ताकत बढती है। आँवले को यदि तिल के साथ मिलाकर बीस दिनों तक प्रतिदिन सुबह खाली पेट खाया जाए तो शरीर को चुस्त और दुरूस्त होने में ज्यादा वक्त नहीं लगता है। ये मिश्रण स्वास्थ्यवर्धक होता है।

शारीरिक ताकत और मजबूती के लिए आँवले के फलों को उत्तम माना गया है। आँवले के फलों के चूर्ण के साथ यदि गिलोय के तने का चूर्ण भी मिला लिया जाए तो शरीर में ऊर्जा का जबरदस्त संचार होता है। कुछ आदिवासी इलाकों में इस मिश्रण के साथ छोटा गोखरू की जडों के चूर्ण को भी मिलाया जाता है और इसे दूध के साथ रात सोने से पहले लिया जाता है।

आँवले के फलों का रस (करीब50 मि ली) तैयार कर इसमें 5 ग्राम गाय का घी मिलाया जाए और प्रतिदिन रात सोने से पहले लिया जाए तो उन लोगों को काफी फायदा होते हैं जिन्हें वीर्य में कम शुक्राणुओं की शिकायत होती है। आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार लगभग एक माह तक लगातार इस फार्मुले के सेवन से फर्क महसूस किया जा सकता है।

आँवले के फलों के चूर्ण और अश्वगंधा की जडों की समान मात्रा का सेवन प्रतिदिन कम से कम दिन में दो बार करना बेहतर स्वास्थय के लिए एक टोनिक की तरह माना जाता है, जहाँ यह पौरूषत्व के लिए उत्तम है वहीं मधुमेह नियंत्रण के लिए भी अच्छा होता है।

डाँग- गुजरात के हर्बल जानकारों के अनुसार आँवले के कच्चे फलों का रस (एक गिलास) तैयार कर इसमें करीब २ ग्राम हल्दी चूर्ण मिलाकर प्रतिदिन लिया जाए, यह काफी स्फूर्तिदायक होता है और मधुमेह नियंत्रण के लिए भी बेहद फायदेमंद साबित होता है। आधुनिक विज्ञान भी आँवले और हल्दी के मिश्रण को मधुमेह के लिए कारगर मानता है।

मुँह के छाले होने पर आँवले की पत्तियों को चबाया जाए, छालों में आराम मिल जाता है। खाने खाते समय यदि जीभ दाँतों के बीच आ जाए और खून निकल आए तो तुरंत आँवले की पत्तियों को चबा लिया जाए तो आराम मिल जाता है।

आँवले के सूखे फलों और पत्तियों की समान मात्रा (लगभग 4 ग्राम प्रत्येक) ली जाए और इन्हें कुचल लिया जाए, इस मिश्रण में हल्दी का चूर्ण मिलाया जाए और दिन में कम से कम दो बार भोजन के बाद लिया जाए, आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार मधुमेह के नियंत्रण के लिए यह फार्मुला काफी कारगर है।

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