खाना खाते समय यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो स्वास्थ्य लाभ के साथ ही देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त की जा सकती है। यहां जानिए प्राचीन मान्यताओं की कुछ ऐसी बातें जो भोजन के समय ध्यान रखना चाहिए...
1. इस उपाय से बढ़ती है आयु
खाना खाने से पूर्व पांच अंगों (दोनों हाथ, दोनों पैर और मुख) को अच्छी तरह से धो लेना चाहिए। इसके बाद ही भोजन करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि भीगे हुए पैरों के साथ भोजन ग्रहण करना बहुत शुभ माना जाता है। भीगे हुए पैर शरीर के तापमान को नियंत्रित करते हैं, इससे हमारे पाचनतंत्र की समस्त ऊर्जा भोजन को पचाने में लगती है। पैर भिगोने से शरीर की अतिरिक्त गर्माहट कम होती है, जो गैस और एसिडिटी की संभावनाओं को समाप्त कर देती है। इससे स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। इससे आयु में वृद्धि होती है।
खाना खाने से पूर्व पांच अंगों (दोनों हाथ, दोनों पैर और मुख) को अच्छी तरह से धो लेना चाहिए। इसके बाद ही भोजन करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि भीगे हुए पैरों के साथ भोजन ग्रहण करना बहुत शुभ माना जाता है। भीगे हुए पैर शरीर के तापमान को नियंत्रित करते हैं, इससे हमारे पाचनतंत्र की समस्त ऊर्जा भोजन को पचाने में लगती है। पैर भिगोने से शरीर की अतिरिक्त गर्माहट कम होती है, जो गैस और एसिडिटी की संभावनाओं को समाप्त कर देती है। इससे स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। इससे आयु में वृद्धि होती है।
2. खाना खाते समय दिशाओं का ध्यान रखें
पूर्व और उत्तर दिशा की ओर मुंह करके खाना ग्रहण करना चाहिए। इस उपाय से हमारे शरीर को भोजन से मिलने वाली ऊर्जा पूर्ण रूप से प्राप्त होती है।
दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके भोजन ग्रहण करना अशुभ माना गया है।
पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके भोजन करने से रोगों की वृद्धि होती है।
पूर्व और उत्तर दिशा की ओर मुंह करके खाना ग्रहण करना चाहिए। इस उपाय से हमारे शरीर को भोजन से मिलने वाली ऊर्जा पूर्ण रूप से प्राप्त होती है।
दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके भोजन ग्रहण करना अशुभ माना गया है।
पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके भोजन करने से रोगों की वृद्धि होती है।
3. इस स्थिति में भोजन नहीं करना चाहिए
कभी भी बिस्तर पर बैठकर भोजन नहीं करना चाहिए।
खाने की थाली को हाथ में लेकर भोजन नहीं करना चाहिए।
भोजन बैठकर ग्रहण करना चाहिए।
थाली को किसी बाजोट या लकड़ी की पाटे पर रखकर भोजन करना चाहिए।
खाने बर्तन साफ होने चाहिए। टूटे-फूटे बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए।
कभी भी बिस्तर पर बैठकर भोजन नहीं करना चाहिए।
खाने की थाली को हाथ में लेकर भोजन नहीं करना चाहिए।
भोजन बैठकर ग्रहण करना चाहिए।
थाली को किसी बाजोट या लकड़ी की पाटे पर रखकर भोजन करना चाहिए।
खाने बर्तन साफ होने चाहिए। टूटे-फूटे बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए।
4. खाने से पहले ये उपाय भी करें
भोजन ग्रहण करने से पहले अन्न देवता, अन्नपूर्णा माता का स्मरण करना चाहिए।
देवी-देवताओं को भोजन के धन्यवाद देते हुए खाना ग्रहण करें। साथ ही, भगवान से ये प्रार्थना भी करें कि सभी भूखों को भोजन प्राप्त हो जाए। कभी भी परोसे हुए भोजन की निंदा नहीं करना चाहिए। इससे अन्न का अपमान होता है।
भोजन ग्रहण करने से पहले अन्न देवता, अन्नपूर्णा माता का स्मरण करना चाहिए।
देवी-देवताओं को भोजन के धन्यवाद देते हुए खाना ग्रहण करें। साथ ही, भगवान से ये प्रार्थना भी करें कि सभी भूखों को भोजन प्राप्त हो जाए। कभी भी परोसे हुए भोजन की निंदा नहीं करना चाहिए। इससे अन्न का अपमान होता है।
5. भोजन बनाने वाले व्यक्ति को ध्यान रखनी चाहिए ये बातें
भोजन बनने वाले व्यक्ति को स्नान करके और पूरी तरह से पवित्र होकर भी भोजन बनाना चाहिए। खाना बनाते समय मन शांत रखना चाहिए। साथ ही, इस दौरान किसी की बुराई भी ना करें। शुद्ध मन से भोजन बनाएंगे तो खाना स्वादिष्ट बनेगा और अन्न की कमी भी नहीं होगी। भोजन बनाना प्रारंभ करने से पहले इष्टदेव का ध्यान करना चाहिए। किसी देवी-देवता के मंत्र का जप भी किया जा सकता है।
भोजन बनने वाले व्यक्ति को स्नान करके और पूरी तरह से पवित्र होकर भी भोजन बनाना चाहिए। खाना बनाते समय मन शांत रखना चाहिए। साथ ही, इस दौरान किसी की बुराई भी ना करें। शुद्ध मन से भोजन बनाएंगे तो खाना स्वादिष्ट बनेगा और अन्न की कमी भी नहीं होगी। भोजन बनाना प्रारंभ करने से पहले इष्टदेव का ध्यान करना चाहिए। किसी देवी-देवता के मंत्र का जप भी किया जा सकता है।